` खगोलीय प्रेमपत्र है—एक तारे के लिए, जो बचपन से केवल आकाश में नहीं, आत्मा के भीतर भी टिमटिमा रहा है। आर्द्रा तारे दीर्घायु आशीष से नवाजा गया निजी …
Read moreविदाई की बेला -- Mata Rani ke sath teri vidai yaad aai😭 दुर्गा मां को सिंदूर लगाते,पैर में महावर लगाते, खोईछा देते जानती हो तुम्हारी याद …
Read moreजज़्बात मेरे मजाक बन कर ही रह गए। ज़ख्म दिखाई तो वो नमक छिड़क गए। तमाम उम्र सफ़र में साथ देने वाले भी, बीच राह में अकेला छोड़ कर चले गए। हम तो गैरो…
Read moreमैं बस उसी की अर्धांगिनी बनूंगी यह कविता स्त्री के ऐतिहासिक और पौराणिक प्रतीकों को पुनर्परिभाषित करती है — दुर्गा, गंधारी, मीरा, सीता, यशो…
Read moreस्त्री जो खुद को समझ चुकी अब वो समझाना छोड़ चुकी है कि उसे क्या चाहिए, क्या नहीं ? वो चुपचाप दिल से हटा देती है जो आत्मा को व्यथित करता हो…
Read moreप्रेम बहता है मौन में प्रेम बहता है मौन में, जैसे संध्या की आरती में🪔 बिना बोले जलता हो कोई दीप, जैसे किसी पीपल की छांव में, किसी ने चुप…
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